अधिकतर लोग स्तन कैंसर का नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज़ के जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं, क्योंकि लोग कैंसर को लाइलाज बीमारी मानते हैं, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा नहीं हैं ।
हर साल भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से बढ़ रही है. अलग-अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग-अलग लक्षण पाए जाते हैं।
स्तन कैंसर का पता आसानी से लगाया जा सकता है, स्त्रियां खुद भी स्तन की जांच कर इस बात का पता लगा सकती है कि उन्हें कैंसर है या नही।
स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकर या स्किन में बदलाव, स्तन का सख़्त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे (अंडर आर्म्स) भी गांठ होना स्तन कैंसर के लक्षण हैं।
हालांकि स्तन में मौजूद हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद ज़रूरी है, ताकि कहीं वो भविष्य में कैंसर का रूप ना पकड़ ले।
डॉ आरए बडवे जो टाटा मेमोरियल सेंटर के डायरेक्टर और कैंसर विशेषज्ञ है के अनुसार, “स्तन में गांठ, सूजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.”
डॉ. बडवे कहते हैं, “स्तन कैंसर से डरे नहीं क्योंकि इसका इलाज संभव है अगर स्तन कैंसर पहले स्टेज में ही है, तो इसे आसानी से जड़ से ख़त्म किया जा सकता है।”
मुंबई में कैंसर के इलाज के लिए मशहूर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के आंकड़ों के अनुसार हर साल 4 हज़ार कैंसर के नए रोगी अस्पताल आते हैं।
कैंसर विशेषज्ञ डॉ आरए बडवे के अनुसार, ” स्तन कैंसर के प्रमुख कारण शराब, ध्रूमपान, तंबाकू के साथ-साथ बढ़ता वज़न, ज़्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना हैं।”
इसलिए ज़रूरी है कि महिलाएं अपने वज़न को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चित करें और कम-से-कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान ज़रूर कराएं। ऐसा करने से स्तन कैंसर का ख़तरा कम हो जाता है।
डॉ बडवे यह भी कहना है कि स्तन कैंसर की 4 अवस्था होती है. स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो 80% से ज़्यादा मरीज के ठीक होने की उम्मीद होती है. दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60-70% तक महिलाएं ठीक हो जाती हैं, वहीं तीसरे या चौथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज़ थोड़ा कठिन हो जाता है। इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करे और स्तन कैंसर के इलाज के लिए डॉक्टर सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी करते हैं। महिलाओं में सिर्फ़ 5-10 % स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सकता हैं।
डॉ. मेहुल एस भंसाली जो सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट है कहते हैं, “बदलते समय के साथ अपने लाइफ़स्टाइल को ज़रूरत से ज़्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है.” उनकी सलाह है कि ज़्यादा कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन न करें और गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन ना करें. इसके अलावा साल में एक बार 40 की उम्र के बाद मेमोग्राफी ज़रूर करवाएं।
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. रेशमा पलेप के अनुसार, “अक्सर मेमोग्राफी टेस्ट का नाम सुनकर महिलाएं डरती हैं, लेकिन इस टेस्ट से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।”
वहीं डॉ अंजलि पाटिल का मानना है कि, “स्तन कैंसर के लक्षण सामने आते ही महिलाएं डर जाती है और शर्मिंदगी के कारण इसका किसी से ज़िक्र नहीं करती, लेकिन लक्षण का पता चलते ही डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना ज़रूरी है। ताकि समय से उपचार किया जा सके।”
डॉ आरए बडवे कहते हैं कि, “बॉयोप्सी टेस्ट से जानकारी मिल जाती है कि स्तन कैंसर है या नहीं. अगर स्तन में गांठ है तो उसका आकार कितना बड़ा है और यह किस तरह का स्तन कैंसर है ये जानने के बाद इलाज़ की प्रक्रिया आसान हो जाती है।”
स्तन कैंसर को लेकर जानकारी का अभाव भी इसके फैलने में अहम रोल निभा रहा है।