अधिकतर लोगो में ये देखा जाता है की बुजुर्ग व्यक्तियों को नींद बहुत कम आती है। नींद की समस्या का सामना आधे से भी कम उम्र के लोग करना पड़ता हैं। आधे से भी ज्यादा लोग नींद न आने की समस्या से पीड़ित रहते हैं। बुजुर्गों को नींद की ये दिक्कत दो तरह से परेशान करती है। पहले तो रात होते ही वो सो जाते हैं और फिर तड़के में उनकी नींद टूट जाती है। वो नींद लेना चाहते हैं। फिर भी सो नहीं पाते है। बीमारियों की वजह से भी कई बार नींद नहीं आ पाती है। इसके अलावा कई बुजुर्ग लोग सेहतमंद होने के बावजूद भी ठीक तरह से सो नहीं पाते है। अगर आप काफी समय से नींद पूरी नहीं कर पा रहे है तो इसका बुरा असर सेहत पर पड़ता है। इसकी वजह से हमारी बीमारियों से लड़ने की ताकत भी कम हो जाती है। इसके कारण से दिनभर आलस सा महसूस होता है और स्वस्थ भी अच्छा नहीं रहता हैं। इससे शरीर में किसी भी बीमारी के प्रवेश का डर बढ़ जाता है। अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद लेना हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है।
कई लोगो का ये मानना है कि बुजुर्ग व्यकित रात के समय इसलिए कम सोते हैं, क्योंकि वो दिन में में ही अच्छा खासा वक्त सोते हुए गुजार देते हैं। हालांकि की कुछ अन्य लोग ये भी कहते हैं कि दिन में अलसाए रहने का ये तो तात्पर्य नै होता की बुजुर्गों को कम नींद की आवश्यकता है। अक्सर आधे उम्र के लोगों में सही से न सो पाने की समस्या को डॉक्टर संजीदगी से नहीं लेते है। हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार 69 फीसद बुजुर्गों ने नींद न आने की शिकायत की। डॉक्टरों ने उनमें से 81 फीसदी की शिकायत को उनकी फाइल में नहीं लिखा।
अगर हम बुजुर्गों को कुछ समय के लिए अधिक नींद की जरूरत होती है। तो फिर बुजुर्ग लोग कम घंटे क्यों सोते हैं? इसकी एक कारण ये भी सकता है कि उम्र बढ़ने के साथ नींद में भी दिक्कते आने लगती है और इसी वजह से वो जल्दी उठ जाते है। बुजुर्गो को शायद काफी नींद की जरूरत होती है। फिर भी वो सो नहीं पाते। या कई बार वो सो भी जाते हैं, लेकिने उन्हें गहरी नींद नहीं आ पाती। रूस में कुछ समय पहले हुए एक शोध में करीब 130 लोगों को एक लैब में दिन और रात तक जगाए रखा गयाथा। थोड़ी थोड़ी देर में उनसे पूछा जा रहा था। उन्हें किस समय पर नींद के झोंके अलग तरह से आ रहे थे। इसके अध्ययन के मुताबिक ये पता चला की दिन के अलग अलग समय में शरीर से मेलाटोनिन नाम के हारमोन निकलने की प्रक्रिया भिन्न-भिन्न थी।