उड़ते हुए किसी चील के मुंह में बोटी या किसी पक्षी के मुंह में रोटी को देखकर ऐसा लगता है की मनो यह बहुत दूर जा रहा है। बस, मनुष्य का भाग्य भी कुछ हद तक ऐसा ही हो गया है। कभी कभी हमारा भाग्य हमारा साथ बिलकुल भी नहीं देता हमारे जी तोड़ प्रयास करने के बाद भी हमे वो नहीं मिल पता जो हमे मिलना चाहिए और जब ऐसा होता है तो हम निराश हो जाते है।
इसका मुख्या कारण यह है कि अब हम सब लोग बहुत भागने लगे है हम प्रयास तो करना कहते है पर मौका मिलने पर छलांग भी लगाना चाहते है। कुछ लोग तो आजकल हमेशा उड़ने के प्रयास में रहते हैं। हम लोगो में आई यह तेज़ी हमे अशांत कर देती है। इसका मतलब यह बिलकुल नहीं कि हम रुक जाएं या धीरे चलने लगें। मतलब बस यह है कि कुछ पड़ाव पर पहुंचकर हमे थोड़ा आराम करने की ज़रूरत है। रुकने का वह स्थान कोई मंदिर हो सकता है, आपका घर हो सकता है या आपका एकांत भी हो सकता है। इसके बाद हम अपनी यात्रा शुरू करेंगे तो हमारी चाल में तेज़ी तो आयेगी साथ ही अशांति भी नहीं होगी। हम सबका कैरियर इस टाइम केवल शरीर और मन से जुड़ा है हमें इसे आत्मा से जोड़ने की जरुरत है। जैसे ही आत्मा हमे छुएगी, तो आत्मा कुछ पड़ाव पर रूककर विश्राम करने की सलाह देगी और जो लोग
ध्यान-योग करते हुए अपनी आत्मा से जुड़ेंगे वे लक्ष्य पर पहुंचकर आराम करना भी सीख जाएंगे। वास्तव में लोग लक्ष्य प्राप्त करने के बाद भी भागना नहीं छोड़ रहे है इसी कारण लोगो को सब कुछ मिल जाने के बावजूद उनका मन अशांत रहता है। इसलिए लक्ष्य प्राप्त करने की दौड़ में शरीर और मन से अधिक योगदान अपनी आत्मा का भी रखिए, फिर आपको जो भी जितना भी मिलता है आपको आनंदित कर देगा।