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दान और धन का उपभोग करने से होती है, धन में वृद्धि

दान और धन का उपभोग करने से होती है, धन में वृद्धि

क्या आप चाहते हैं क‌ि आपके धन में वृद्धि हो और आप सुख पूर्वक अपना जीवन बिताये तो हमेशा यह दो बातें अवश्य याद रखें क्योंक‌ि जो इस बातों को याद नहीं रखते हैं और अपने धन को बचाने की कोश‌िश करते रहते हैं उनका धन क‌िसी न क‌िसी रूप में नष्ट हो जाता है और बाद में पछताते रह जाते। एक श्लोक में ल‌िखा है- दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य। यो ददाति भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति  यानी धन की तीन ही गत‌ि होती है। यानी जो धन के साथ दो काम नहीं करते उनके धन का नाश तय है।

शास्‍त्रों में लिखा है क‌ि माँ लक्ष्मी का एक नाम चंचला है। अर्थात वह चंचल स्वभाव की हैं माँ लक्ष्मी एक स्‍थान पर कभी रुक कर नहीं रहती हैं इसल‌िए इन्‍हें(लक्ष्मी) रोककर रखने की भूल न करें। धन को नष्ट होने से अगर आप बचाना चाहते है तो इसके ल‌िए स‌िर्फ दो उपाए है या तो आप धन का दान करें। इसका अर्थ यह है की आप धन का लेन-देन करें और जरुरतमंदों को दें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो धन को सुखभोग में उपयोग करें। जो व्यक्ति धन का उपभोग नहीं करते हैं और न दान धर्म में खर्च करते हैं, उनका धन तेजी से नष्ट होता चला जाता है। इसल‌िए प्रतेक व्यक्ति को धन का सदुपयोग करना चाह‌िए। इसे रोककर नहीं रखना चाह‌िए। अर्थात ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है।

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