दिल्ली-एनसीआर में चिकनगुनिया वायरस की वजह से कई मौते हो रही है। इन मौतों का कारण डॉक्टर ने वायरस के स्ट्रेन में बदलाव को बताया है। डॉक्टर और माइक्रोबायॉलजिस्ट भी मान रहे हैं कि वायरस का बिहेवियर बदला नजर आ रहा है। एम्स के माइक्रोबायॉलजी विभाग और नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने इस वायरस के खतरनाक प्रभाव को देखते हुए वायरस के म्यूटेशन पर जांच शुरू कर दी है। इस जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि वायरस के स्ट्रेन में किस तरह के बदलाव आए हैं। इस वायरस की वजह पहली बार अब तक 12 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
नैशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉक्टर एएस धारीवाल ने बताया है कि अभी तक चिकनगुनिया का वायरस जिस प्रकार बिहेव कर रहा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इसके स्ट्रेन में बदलाव आया हो, लेकिन बिना स्टडी या सायेंटिफिक रिसर्च के कुछ ठोस नहीं कहा जा सकता है। इसलिए एम्स और NCDC इस वायरस पर स्टडी कर रहे हैं। डॉक्टर धारीवाल ने यह भी बताया है कि 15 दिन पहले से ही वायरस की जांच पर काम शुरू हो चुका है, क्योंकि इस साल चिकनगुनिया के मामले काफी बढ़ गए है और सीरियसनेस भी दिख रही है।
डॉक्टर धारीवाल ने यह भी कहा कि अभी तक जितने लोगो की मौतें हुई हैं, उन लोगो को कोई न कोई दूसरी बीमारी भी थी। जिन्हें दूसरी बीमारी नहीं है, उनमें रिकवरी अच्छी हो रही है। उन्होंने कहा कि जो भी मौतें हुई हैं, उन पर जाँच की जा रही है। कई मरीजों को डायबिटीज, हार्ट की बीमारी भी थी। ऐसी बीमारी से पीड़ित लोगों में कॉम्प्लिकेशन बढ़ जाता है। साथ ही उन्होंने सभी डॉक्टरों को सलाह दी है कि वो इलाज की गाइडलाइन फॉलो करे, यह भी कहा गया है कि कहीं ऐसा न हो कि चिकनगुनिया के वजह से दूसरी बीमारी छुट जाए। उन्होंने ये भी कहा कि वह वायरस के स्ट्रेन का पता बहुत जल्द लगा लेंगे।
एस वॉट्ल जो गंगाराम अस्पताल के माइक्रोबायॉलजी डिपार्टमेंट के डॉक्टर है, उन्होंने ने बताया है कि इस बार जब IgM टेस्ट की मदद से अस्पताल में चिकनगुनिया की जांच वायरस मिस हो रहा था। कोई भी रिपोर्ट पॉजिटिव नही आ रही थीं। तब जाकर पीसीआर जांच शुरू की, जिसमें वायरस की पहचान हो पा रही है। उन्होंने कहा कि यह जांच महंगी जरूर है, लेकिन यह डायरेक्ट टेस्ट है जिसमें वायरस की पहचान तुरंत हो रही है। गंगाराम के मेडिसिन के डॉक्टर अतुल गोगिया ने कहा आजतक कभी भी चिकनगुनिया से मौत नहीं हुई है, लेकिन कई सायेंटिफिक रिसर्च हुई हैं, जिनमें मौत की बात कही गई है। जबकि, अभी तक यह जाँच कुछ सीमित मरीजों में की गई हैं। यह वायरस बुजुर्गों, बीमारों, छोटे बच्चों को आसानी से हो जाता है, इसलिए लोगों को इसे सतर्कता से लेना चाहिए, आशंका होने पर डॉक्टर को दिखाएं।