कई सदियों पहले जहां एक चमत्कार की तरह शनि महाराज का विग्रह प्रकट हुआ था और पूरा इलाका शनि महाराज की देखरेख में सुख चैन की बंसी बजा रहा था। वर्तमान समय में वहां पूजा को लेकर बवाल मचा हुआ है और महिलाएं यहां पूजा का अधिकार मांग रही हैं। मंदिर की परंपरा में बदलाव को लेकर जो भी निर्णय होगा वह आप भी देखेंगे लेकिन इससे पहले हम आपको शनि धाम की हैरान करने वाली दूसरी परंपरओं को बतायेगे। शिंगणापुर गांव में करीब तीन हजार लोगो की आबादी है। इस गांव की परंपरा है कि यहां कोई भी अपने घर में ताला नहीं लगाता है। इस गांव में रहने वाले धनवान लोग भी पेटी, बक्सा या अटैची में बंद करके धन नहीं रखते हैं। धन को एक पोटली में बांधकर निश्चिंत होकर कहीं भी रख देते हैं। शिंगणापुर के लोगों का मानना है कि जब भी किसी ने इस गांव में चोरी करने की कोशिश की है शनि महाराज उसे स्वयं दंड देते हैं।
यहां लोगों के घरों में दरवाजे नहीं लगे होते हैं। लोगों ने यहां अपनी निजता को बनाए रखने के लिए सिर्फ पर्दे लगा रखें हैं। शिंगणापुर में शनि महाराज का ऐसा प्रभाव है कि यहां स्थित बैंक में भी ताले नहीं लगते हैं। शिंगणापुर में शनि महाराज के विग्रह के निकट एक नीम का पेड़ है। माना जाता हैं कि जब भी इसकी शाखा विग्रह पर छाया करने लगती है तब किसी न किसी कारण से छाया करने वाली शाखा सूख अथवा टूटकर गिर जाती है। यानी छाया के पुत्र शनि को किसी दूसरी चीज की छाया बिल्कुल पंसद नहीं है। शिंगणापुर स्थित शनि महाराज खुले आसमान में विराजते हैं इन्हें मंदिर की चारदीवारी में रहना पसंद नहीं है। जिस किसी ने शनि महाराज का मंदिर बनाने या इन्हें छाया हेतु छत्र चढ़ाने का प्रयास किया उस पर शनि महाराज प्रसन्न होने की बजाय क्रोधित हो गए और उन्हें शनि महाराज के कोप का सामना भी करना पड़ा।
शनि शिंगणापुर की सबसे खास बात यह है कि यहां शनि महाराज का तैलाभिषेक करने से शनि की साढेसाती, ढैय्या और दशाओं के बुरे प्रभाव में कमी आती है इस वजह से दुनिया भर के लोग शनिधाम में तैलाभिषेक करने आते हैं। शनि महाराज के दूसरे मंदिरों में आपको शनि महाराज की मूर्ति के दर्शन होंगे। लेकिन शिंगणापुर एक मात्र ऐसा स्थान है जहां पर शनि महाराज एक विग्रह यानी एक काले पत्थर के रूप में नजर आते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि यह विग्रह साक्षत शनि महाराज का स्वरूप है जो अपने आप प्रकट हुआ है। शनि शिंगणापुर में शनि भगवान की पूजा करने वाले अधोवस्त्र यानी अधे अंग पर वस्त्र धारण करते हैं। शनि महाराज को बंधन पसंद नहीं है इस कारण यहां सिले हुए वस्त्र पहनकर पूजा करने की भी परंपरा नहीं रही है, इस परंपरा का पालन शनि शिंगणापुर में आज भी किया जाता है।