वर्तमान में कंप्यूटर के बिना किसी काम कि कल्पना करना भी असंभव हैं। भविष्य में कंप्यूटर कि जरुरत बढ़ेगी ही। जैसे-जैसे कंप्यूटर पर निर्भरता बढ़ती जयेगी वैसे-वैसे कंप्यूटर के लिए बेहतर प्रोफेशनल्स की डिमांड भी बढ़ेगी। छात्र कंप्यूटर हार्डवेयर का कोर्स करके अपना कॅरियर बना सकते हैं। पिछले कई सालो में अगर किसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा विकास और रोज़गार की सम्भावना बढ़ी है तो वह कंप्यूटर है। दरअसल कंप्यूटर आज हर एक की जिंदगी में इस तरह से जगह बना चुका है कि इसके बिना कोई काम नहीं हो सकता। यह भी हो सकता है की आपको कंप्यूटर चलाना नहीं आता हो, पर भविष्य में आपको इसकी जरूरत पड़ सकती हैं इसलिए इसे सीखना बहुत जरूरी होता जा रहा हैं। ऐसे में कंप्यूटर का रख-रखाव भी अहम हो जाता है। जब भी कभी कंप्यूटर में कोई खराबी आ जाती है तो इसे ठीक करने का काम कंप्यूटर हार्डवेयर प्रोफेशनल्स करते हैं।
क्या है कंप्यूटर हार्डवेयर
कंप्यूटर के कलपुर्जों को सम्मिलित रूप से हार्डवेयर कहा जाता है। कंप्यूटर हार्डवेयर तकनीक के अंदर इसके निर्माण और रख-रखाव की जानकारी दी जाती है। कंप्यूटर हार्डवेयर को दो भागों में बाटते हैं पहला कार्ड लेवल और दूसरा चिप लेवल। सभी कंप्यूटर उपकरणों में कई तरह के कार्ड लगे होते हैं, जिनमें कई चिप होती हैं। पहले यदि किसी भी चिप में खराबी आ जाती थी तो कार्ड को ही बदल दिया जाता था, इसे ही “कार्ड लेवल तकनीक” कहते हैं। यह तकनीक काफी महंगी है क्योंकि इसमें लगने वाले कार्ड महंगे होते हैं। पर अब कार्ड में लगे चिप में खराबी आने पर चिप को बदलने की तकनीक विकसित हो चुकी है इसलिए कंप्यूटर में इससे संबंधित किसी भी तरह की खराबी आने पर कार्ड में लगे चिप को बदलकर ही खराबी दूर कर दी जाती है। चिप, कार्ड के मुकाबले काफी सस्ती पड़ती है। इसके कारण यह तकनीक काफी लोकप्रिय है।
योग्यता
कई पॉलिटेक्निक और निजी संस्थानों द्वारा चिप लेवल हार्डवेयर की शिक्षा दी जाती है। डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की अवधि एक से तीन वर्ष के बीच होती है। इन कोर्सेज में प्रवेश के लिए योग्यता बारहवीं पास है, जबकि पॉलिटेक्निक में दसवीं के बाद ही प्रवेश लिया जा सकता है। अधिकतर जगहों पर एडमिशन प्रवेश परीक्षा के आधार पर ही होता है। कुछ निजी संस्थान बारहवीं के अंकों के आधार पर भी प्रवेश देते हैं। इस पाठ्यक्रम में सबसे पहले छात्रों को मूलभूत सिद्धांतों से परिचित कराया जाता है। इनमें कैपिसीटर, डायोड, ट्रांसफॉर्मर, आईसी और चिप की जानकारी दी जाती है। इसके बाद डिजिटल डिवाइस एसेंबलिंग, ड्राइव पावर सप्लाई, मॉनिटर, मदर बोर्ड, प्रिंटर, यूपीएस आदि की विस्तृत जानकारी दी जाती है। इसके अलावा छात्रों को विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, नेटवर्किंग, लैन व वैन के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
संभावनाएं
लगातार बढती हुई कंप्यूटर और उसके उपभोक्ताओं की संख्या के साथ-साथ हार्डवेयर इंजीनियरों की मांग भी काफी तेजी से बढ़ी है। निजी संस्थानों और कार्यालयों में कंप्यूटर के बिना किसी भी काम को करना मुमकिन ही नहीं हैं। कंप्यूटर में थोड़ी-सी भी चुक होने पर लाखों का नुकसान सहना पर सकता है, इसलिए निजी कंपनियों और सरकारी कार्यालयों में पर्याप्त संख्या में हार्डवेयर प्रोफेशनल नियुक्त किए जाते हैं। घरों, दुकानों आदि में कंप्यूटर के बढ़ते प्रयोग के कारण स्वतंत्र रूप से रिपेयरिंग का काम करके काफी आमदनी की जा सकती है। आप हार्डवेयर अपग्रेडेशन में भी टेलीकॉम, मोबाइल और कंप्यूटर से संबंधित इलेक्ट्रिॉनिक गुड्स के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। यही नहीं यदि आप नौकरी नहीं करना चाहते हैं तो खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो कंप्यूटर हार्डवेयर में अवसरों की कोई कमी नहीं है।