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  • बसंत पंचमी इस विधि से करे, देवी सरस्वती की पूजा
    बसंत पंचमी: इस विधि से करे, देवी सरस्वती की पूजा

    बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इस पंचमी पर विशेष रूप से विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस साल की बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषियों में काफी मतभेद है। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि चतुर्थी तिथि में 12 फरवरी को पंचमी

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  • मौनी अमावस्या के दिन करे गंगा स्नान, गरीबों में अन्न-वस्त्र का दान करे
    मौनी अमावस्या के दिन करे गंगा स्नान, गरीबों में अन्न-वस्त्र का दान करे

    अमावस्या प्रत्येक मास में पड़ती है, परन्तु माघ मास की अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ब्रहमा जी ने इसी दिन मनु और सतरूपा को उत्पन्न कर सृष्टि का निर्माण कार्य आरम्भ किया था। पितरों के सम्बन्ध में सभी श्राद्ध-तर्पण आदि सारे कार्य अमावस्या तक और सकाम अनुष्ठान या महत्वपूर्ण यज्ञ

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  • गुरु पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व को जानिए
    गुरु पूर्णिमा के आध्यात्मिक महत्व को जानिए

    संसार में मनुष्य और परमात्मा के बीच एक सेतु (पुल) की तरह होता है गुरु। गुरु सिर्फ सेतु ही नहीं है बल्कि रास्ते को आलोकित करने वाले सूरज की तरह भी है। लेकिन अगर सूरज का प्रकाश जलाने लगे तो वह चांदनी की तरह शीतल भी है। गुरु के बहुत रूप होते है, और कुल मिलाकर वह

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  • सही विधान और निःस्वार्थ जप करने से पूरी होगी हर मनोकामना
    सही विधान और निःस्वार्थ जप करने से पूरी होगी हर मनोकामना

    सच्चे मन से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नही होती है। अगर प्रार्थना मंत्रों के माध्यम से की जा रही हो तो और भी अच्छा होता है। ईश्वरीय सत्ता को मंत्र और जप के माध्यम से मानवीय प्रार्थना से जोड़ती है। शास्त्रों और सिद्ध साधकों का मानना है की, अपने ईश्वर से कुछ कहने के

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  • मूर्ति पूजा की मान्यता हिन्दू धर्म में क्यों है
    मूर्ति पूजा की मान्यता हिन्दू धर्म में क्यों है? पढ़िए

    भारत देश में परम सत्ता को जानने समझने वाली दो धाराएं रही हैं। पहली धारा परम सत्ता के निर्गुण रूप को मानने वाली और दूसरी सगुण रूप को मानने वाली है। निर्गुण धारा को मानने वालों का कहना है कि भगवान से सृष्टि हुई है। सृष्टि नाम रूपात्मक है, तो उसके रचयिता का न कोई

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  • मनुष्य के जीवन में एक मात्र दुःख का कारण
    मनुष्य के जीवन में एक मात्र दुःख का कारण है, इन्हें करें दूर

    एक नकारात्मक सत्ता अंधकार है, वहीं रोशनी का अभाव होता है। यह रोशनी कई बार परिस्थितियों की वजह से भी खो जाती है, किन्तु वैसी स्थिति में ईश्वर ने मनुष्य को वैसी ही क्षमता दे रखी है कि वह उनका उपयोग कर रोशनी के अभाव को दूर कर सके। लेकिन अंधकार को देखकर जो लोग

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  • जानिए-शनि-शिंगणापुर-की-कुछ-रोचक-बाते-
    जानिए शनि शिंगणापुर की कुछ रोचक बाते

    कई सदियों पहले जहां एक चमत्कार की तरह शन‌ि महाराज का व‌िग्रह प्रकट हुआ था और पूरा इलाका शन‌ि महाराज की देखरेख में सुख चैन की बंसी बजा रहा था। वर्तमान समय में वहां पूजा को लेकर बवाल मचा हुआ है और मह‌िलाएं यहां पूजा का अध‌िकार मांग रही हैं। मंद‌िर की परंपरा में बदलाव

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  • वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में परेशानियों की मुख्य वजह यह है कि वहा एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए पति-पत्नी के बीच कलह होता है कि जरूरत के समय वे एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दे पाते। बुजूर्ग माता-पिता की भी अपने बच्चों से यही शिकायत होती है। छोटे बच्चे अपनी जिद इस इच्छा के साथ पूरी कराते हैं कि मां-बाप के पास उनके लिए फुर्सत का समय नहीं होता है। परिवारों में ऐसे आभास होते रहना चाहिए कि सभी सदस्य एक-दूसरे पर पूरा ध्यान दे। धर्म-अध्यात्म में ध्यान पर बहुत ज्यादा बल दिया गया है। ध्यान का अर्थ है वर्तमान पर ध्यान करना। पुरानी सभी बातों को भूलकर और भविष्य की चिंता न करते हुए हमें वर्तमान पर ध्यान देना चाहिए। जो व्यक्ति वर्तमान पर ध्यान देने की आदत डाल लेंगे, उनके घर-परिवारों में शांति और स्नेह बना रहेगा। वर्तमान समय में एकाग्रता बनाए रखने के लिए हर रोज कुछ समय ध्यान (मेडिटेशन) करना चाहिए। इसके लिए आपको किसी शांत स्थान पर बैठकर आंखें बंद करें और सभी प्रकार के विचारों पर विराम(रोक) लगाने की कोशिश करें। ऐसा करते रहने पर कुछ ही दिनों में एकाग्रता बढ़ने लगेगी और मन को शांति मिलेगी।
    इस कारण बढ़ती हैं परिवार की परेशानियां

    वर्तमान समय में अधिकांश परिवारों में परेशानियों की मुख्य वजह यह है कि वहा एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इसीलिए पति-पत्नी के बीच कलह होता है कि जरूरत के समय वे एक-दूसरे पर ध्यान नहीं दे पाते। बुजूर्ग माता-पिता की भी अपने बच्चों से यही शिकायत होती है। छोटे बच्चे अपनी जिद इस

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  • आपके खान-पान पर माता पिेता के संस्कारों का प्रभाव है या नहीं
    आपके खान-पान पर माता पिेता के संस्कारों का प्रभाव है या नहीं

    वर्तमान समय में आप जैसे भी है, उसके लिए निश्चित तौर आपके माता पिता ने कुछ जिम्मेदारी आप पर डाली होगी। आप जिस तरह खाते हैं, उसका दोष तो अपने माता पिता या पूर्वजो पर डाल सकते हैं। लेकिन वर्तमान समय में जो खा रहे हैं, उसके लिए अपने पूर्वजों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। आप

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  • घर से जुड़ी कुछ चीजे बन सकती है, धन हानि का वजह
    घर से जुड़ी कुछ चीजे बन सकती है, धन हानि का वजह

    वर्तमान समय में अगर आपके पास पैसे नहीं ही तो कुछ भी नहीं कर सकते है। कई बार लगातार पैसों के नुकसान की वजह वास्तु संबंधी दोष भी हो सकते हैं। वास्तु संबंधी दोष से घर में की परेशानिया आ सकती है। वास्तु के कई कारणों को ध्यान में रख कर पैसों के नुकसान को रोका

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